परिचय:

बाबा बैद्यनाथ धाम, Baba Baidhnath Dham जिसे आमतौर पर देवघर के नाम से जाना जाता है, भारत के झारखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है और इसे बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इसके साथ-साथ यह 51 शक्ति पीठों में से एक भी है। बाबा बैद्यनाथ को “कामना लिंग” कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहां की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


स्थान:

  • स्थान: देवघर, झारखंड
  • जिला: देवघर
  • राज्य: झारखंड
  • नदी: मंदिर के पास जलार (Yamunajor) नदी बहती है।

पौराणिक कथा (इतिहास):

बाबा बैद्यनाथ धाम Baba Baidhnath Dham से जुड़ी एक प्रमुख पौराणिक कथा है जो रावण और भगवान शिव से जुड़ी हुई है।

कहानी के अनुसार, लंका का राजा रावण शिव का परम भक्त था। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की और अपनी भुजाएं काटकर अर्पित कीं। अंततः भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और रावण को वरदान मांगने को कहा। रावण ने शिव से अपने राज्य लंका में उन्हें (शिवलिंग रूप में) साथ चलने को कहा।

भगवान शिव मान गए, लेकिन एक शर्त रखी कि जिस स्थान पर रावण शिवलिंग को धरती पर रखेगा, वह वहीं स्थापित हो जाएगा। रास्ते में रावण को लघुशंका लगी और उसने एक ग्वाले (जो भगवान विष्णु का अवतार था) से शिवलिंग थामने को कहा। ग्वाले ने शिवलिंग को थोड़ी देर थामने के बाद ज़मीन पर रख दिया। जब रावण लौटा, तो शिवलिंग को हिला नहीं सका। क्रोधित होकर उसने शिवलिंग को दबाने की कोशिश की लेकिन वह वहीं स्थापित हो गया।

यही स्थान आज बाबा बैद्यनाथ धाम Baba Baidhnath Dham के रूप में प्रसिद्ध है।


ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठ दोनों:

  • ज्योतिर्लिंग: बाबा बैद्यनाथ भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह 5वां ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
  • शक्ति पीठ: यह स्थान माता सती के हृदय के गिरने का स्थान भी माना जाता है। इसलिए यहाँ शक्ति पीठ के रूप में भी पूजा होती है। माता की शक्ति यहाँ “जय दुर्गा” के रूप में प्रतिष्ठित है।

मंदिर की वास्तुकला:

  • मुख्य मंदिर का शिखर लगभग 72 फीट ऊँचा है।
  • मंदिर परिसर में कुल 22 मंदिर स्थित हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
  • मुख्य गर्भगृह में शिवलिंग स्थित है, जिसे प्रतिदिन गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
  • यह शिवलिंग काले पत्थर का है और इसके चारों ओर रजत पात्र (चांदी का घेरा) होता है।

श्रावण मेला और कांवड़ यात्रा:

बाबा बैद्यनाथ धाम Baba Baidhnath Dham में श्रावण मास (जुलाई–अगस्त) के दौरान सबसे बड़ा मेला लगता है, जिसे श्रावणी मेला कहा जाता है। यह एक महीना चलता है और इसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

  • श्रद्धालु सुल्तानगंज (भागलपुर, बिहार) से गंगाजल लेकर पैदल देवघर तक लगभग 105 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।
  • यह कांवड़ यात्रा विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक पदयात्राओं में से एक है।
  • भक्त नारंगी वस्त्र पहनते हैं और “बोल बम”, “हर हर महादेव” के जयघोष करते हुए चलते हैं।

🔱 बाबा बैद्यनाथ धाम यात्रा के संपूर्ण नियम (हिंदी में)

1. कांवड़ यात्रा की शुरुआत:

  • गंगाजल लेने के लिए सबसे पवित्र स्थान सुल्तानगंज (बिहार) है जहाँ से बहती गंगा उत्तरवाहिनी (उत्तर की ओर बहने वाली) होती है।

  • वहीं से गंगाजल भरकर लगभग 105 किलोमीटर की पदयात्रा करके भक्त देवघर पहुँचते हैं।


2. आवश्यक धार्मिक नियम:

  1. नंगे पाँव चलना अनिवार्य होता है। जूते-चप्पल पहनना निषेध है।

  2. कांवड़ (जिसमें जल भरते हैं) को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए।

  3. गंगाजल की एक भी बूँद गिरनी नहीं चाहिए।

  4. कांवड़ को एक बार कंधे पर रखने के बाद कहीं और नहीं रखना चाहिए (जब तक जल चढ़ा न दें)।

  5. कांवड़ में रखा जल सिर्फ शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए होता है, इसे स्नान, धोने या पीने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता।

  6. शुद्ध आचरण व आहार का पालन करें – मांस, मछली, लहसुन, प्याज, शराब आदि का त्याग करें।


3. आचरण और व्यवहार संबंधी नियम:

  1. किसी भी प्रकार की गाली-गलौच, अभद्र भाषा या झगड़ा नहीं करना चाहिए।

  2. कांवड़ यात्रा पूरी श्रद्धा और संयम के साथ करनी चाहिए।

  3. कांवड़ यात्रा में शामिल होकर किसी प्रकार का दिखावा या अहंकार नहीं करना चाहिए।

  4. स्त्रियों का आदर करना, बुजुर्गों की सेवा करना पुण्यकारी होता है।


4. पहनावा और प्रतीक:

  1. अधिकतर श्रद्धालु भगवा वस्त्र पहनते हैं।

  2. कुछ श्रद्धालु “डाक बम” बनकर दौड़ते हुए जल चढ़ाते हैं।

  3. भक्त अपने शरीर पर “बोल बम”, “जय भोले” जैसे नारे लिखवाते हैं।

  4. श्रावण मास में तो सभी यात्री “बोल बम” के जयघोष करते हुए यात्रा करते हैं।


5. शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम:

  1. जल चढ़ाने से पहले शुद्धता और साफ-सफाई जरूरी है।

  2. जल को एक सीधी धारा में शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

  3. शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक आदि भी चढ़ा सकते हैं।

 

6. अन्य महत्वपूर्ण बातें:

  • रास्ते में किसी से बुरा व्यवहार या झगड़ा न करें।

  • अगर आप डाक बम हैं (जो दौड़कर यात्रा करते हैं), तो दूसरों की सुविधा का ध्यान रखें।

  • अगर संभव हो, तो रात को यात्रा न करें – विश्राम जरूरी है।

  • किसी भी प्रकार की ध्वनि प्रदूषण या तेज संगीत से बचें।

  • यात्रा पूरी होने के बाद दान-पुण्य करें और भगवान का आभार व्यक्त करें।

अन्य प्रमुख स्थल परिसर में:

  1. पार्वती मंदिर – माता पार्वती को समर्पित, शिव के बगल में स्थित।
  2. काल भैरव मंदिर – रक्षक देवता।
  3. अन्य मंदिर – लक्ष्मी नारायण, गोपेश्वर, गणेश जी, हनुमान जी, सूर्य नारायण आदि के मंदिर।

भक्तों की मान्यता और परंपरा:

  • ऐसा माना जाता है कि यहाँ सच्चे मन से की गई प्रार्थना ज़रूर पूरी होती है।
  • नवविवाहित जोड़े यहाँ बाबा का आशीर्वाद लेने आते हैं।
  • मनोकामना पूर्ण होने पर कई भक्त मंदिर में चांदी की घंटी, त्रिशूल या पगड़ी चढ़ाते हैं।

पूजा विधि और व्यवस्था:

  • मंदिर सुबह 4 बजे खुलता है और रात 9 बजे तक खुला रहता है।
  • विशेष अवसरों पर रात्रि में भी खुला रहता है।
  • यहाँ “जलाभिषेक” (गंगाजल से अभिषेक) सबसे महत्वपूर्ण पूजा है।
  • भक्त स्वयं भी शिवलिंग पर जल चढ़ा सकते हैं।

कैसे पहुँचें:

  • रेल मार्ग: देवघर रेलवे स्टेशन (Baba Baidhnath Dham Station) भारत के विभिन्न शहरों से जुड़ा है।
  • सड़क मार्ग: बसें रांची, पटना, भागलपुर, कोलकाता आदि से उपलब्ध हैं।
  • हवाई मार्ग: देवघर में Deoghar Airport (DOMESTIC) चालू हो चुका है। पटना और रांची से उड़ानें उपलब्ध हैं।

आधुनिक सुविधाएँ:

  • मंदिर परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं।
  • दर्शन के लिए टोकन सिस्टम, लाइन व्यवस्था और VIP दर्शन की सुविधा है।
  • श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएं, होटल, भोजनालय, मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

निष्कर्ष:

बाबा बैद्यनाथ धाम Baba Baidhnath Dham श्रद्धा, आस्था और आध्यात्म का अद्भुत संगम है। यह स्थान न केवल शिव भक्तों के लिए एक तीर्थ है, बल्कि यहाँ आने वाला हर भक्त एक नई ऊर्जा, शांति और विश्वास लेकर लौटता है। कहते हैं, जो भी “बोल बम” कहकर श्रद्धा से बाबा को जल चढ़ाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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