हनुमान (Hanuman)जी को हिंदू धर्म में शक्ति, भक्ति, बुद्धि, बल, और अटूट निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। वे भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं और श्रीराम के सबसे प्रिय भक्त हैं।

🙏 भगवान हनुमान जी – शक्ति, भक्ति और सेवा के प्रतीक

📜 हनुमान जी का जन्म और स्वरूप

  • हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग में हुआ था।
  • उनके पिता का नाम केसरी था, जो वानर सेना के एक पराक्रमी योद्धा और सुमेरु पर्वत के राजा थे।
  • उनकी माता का नाम अंजना था, जो एक अप्सरा थीं और तपस्या के बाद वानर रूप में जन्मी थीं।
  • पवन देव (वायु देवता) ने उन्हें अपनी शक्ति दी थी, इसलिए उन्हें “पवनपुत्र”, “मारुति” या “वायुपुत्र हनुमान” कहा जाता है।

👨‍👩‍👦 हनुमान (Hanuman) जी का परिवार

  1. पिताराजा केसरी (वानर कुल के योद्धा)
  2. माताअंजना देवी (तपस्विनी और अप्सरा स्वरूप)
  3. ईश्वरतुल्य पितापवन देव (हवा के देवता; इन्हीं की कृपा से हनुमान जी को अद्भुत बल और उड़ने की शक्ति प्राप्त हुई)

🔹 हनुमान (Hanuman)जी विवाहित नहीं थे।

  • अधिकांश ग्रंथों के अनुसार वे ब्रह्मचारी (celibate) थे और आजीवन श्रीराम की सेवा में समर्पित रहे।
  • कुछ दक्षिण भारतीय परंपराओं में सुवर्चला नामक पत्नी का उल्लेख मिलता है, परंतु यह व्यापक रूप से स्वीकार्य नहीं है।

🔱 हनुमान (Hanuman)जी की शक्तियाँ और गुण

  • अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ इन्हें प्राप्त थीं, जैसे:
    • अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व
  • वे रामभक्त, आज्ञाकारी, तेजस्वी, विद्वान, बलवान, अमर और अजेय हैं।
  • उन्हें रामायण, महाभारत और पुराणों में भी पूजनीय माना गया है।

📖 हनुमान (Hanuman)जी का धार्मिक महत्त्व

  • वे रामायण में प्रभु श्रीराम के सबसे बड़े सेवक और भक्त के रूप में उभरते हैं।
  • लंका दहन, संजीवनी लाना, राम और लक्ष्मण की रक्षा, और सुग्रीव की सहायता में उनका महान योगदान है।
  • कहते हैं जहाँ हनुमान हैं, वहाँ संकट नहीं टिकते।
  • हनुमान जी को कलियुग के जीवंत देवता भी कहा जाता है, क्योंकि उनका प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है।

🌎 दुनिया का सबसे बड़ा हनुमान (Hanuman) मंदिर

🛕 यदगिरीगुट्टा हनुमान मंदिर, तेलंगाना (भारत) – निर्माणाधीन विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा

  • वर्ष 2023 में तेलंगाना राज्य में “Statue of Equality” के बाद, “Statue of Hanuman” का कार्य पूरा हुआ है।
  • यह मूर्ति 216 फीट ऊँची है और यह दुनिया की सबसे ऊँची बैठी हनुमान प्रतिमा मानी जा रही है।

🛕 विराट हनुमान (Hanuman)मंदिर, परिताला (आंध्र प्रदेश, भारत)

  • यह हनुमान (Hanuman)जी की 135 फीट ऊँची खड़ी मूर्ति है।
  • इसे “परिताला अंजनेय स्वामी मंदिर” भी कहते हैं।
  • यह विश्व की सबसे ऊँची हनुमान प्रतिमा (स्थापित) में से एक मानी जाती है।

🛕 हनुमानढोका मंदिर (काठमांडू, नेपाल)

  • यह नेपाल के सबसे प्राचीन हनुमान (Hanuman)मंदिरों में से एक है।
  • इसे नेपाल के राजवंशों द्वारा बनाया गया था।

🛕 सलासर बालाजी मंदिर (राजस्थान)

  • भारत के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक, जहाँ बालाजी का रूप विशेष रूप से पूजा जाता है।

🛕 मनोकामना सिद्ध बालाजी मंदिर, मेहंदीपुर (राजस्थान)

  • यहाँ के बालाजी महाराज के दर्शन से लोग भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाते हैं।

📚 हनुमान जी के प्रमुख नाम

  • अंजनेय
  • मारुति
  • बजरंगबली
  • केसरी नंदन
  • महावीर
  • संकटमोचन
  • रामदूत
  • पवनपुत्र

🙏 निष्कर्ष

हनुमान जी केवल शक्ति और पराक्रम के प्रतीक नहीं हैं, वे निःस्वार्थ भक्ति, मर्यादा, और सेवा भाव के आदर्श भी हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा बल केवल बाहुबल में नहीं, बल्कि समर्पण और भक्ति में होता है।

श्री हनुमान चालीसा”

🙏 ॥ श्री हनुमान चालीसा ॥

दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥


चालीसा (40 चौपाइयाँ):

  1. जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
    जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
  2. रामदूत अतुलित बल धामा।
    अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
  3. महावीर विक्रम बजरंगी।
    कुमति निवार सुमति के संगी॥
  4. कंचन वरन विराज सुबेसा।
    कानन कुण्डल कुँचित केसा॥
  5. हाथ वज्र और ध्वजा विराजै।
    काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
  6. शंकर सुवन केसरी नंदन।
    तेज प्रताप महा जग वंदन॥
  7. विद्यावान गुनी अति चातुर।
    राम काज करिबे को आतुर॥
  8. प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
    राम लखन सीता मन बसिया॥
  9. सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।
    विकट रूप धरि लंक जरावा॥
  10. भीम रूप धरि असुर संहारे।
    रामचंद्र के काज सँवारे॥
  11. लाय सजीवन लखन जियाए।
    श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥
  12. रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
    तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥
  13. सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
    अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
  14. सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
    नारद सारद सहित अहीसा॥
  15. यम कुबेर दिकपाल जहाँ ते।
    कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
  16. तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
    राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
  17. तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
    लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
  18. जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
    लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
  19. प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
    जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
  20. दुर्गम काज जगत के जेते।
    सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
  21. राम दुआरे तुम रखवारे।
    होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
  22. सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
    तुम रक्षक काहू को डरना॥
  23. आपन तेज सम्हारो आपै।
    तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
  24. भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
    महावीर जब नाम सुनावै॥
  25. नासै रोग हरै सब पीरा।
    जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
  26. संकट तें हनुमान छुड़ावै।
    मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥
  27. सब पर राम तपस्वी राजा।
    तिनके काज सकल तुम साजा॥
  28. और मनोरथ जो कोई लावै।
    सोइ अमित जीवन फल पावै॥
  29. चारों जुग परताप तुम्हारा।
    है परसिद्ध जगत उजियारा॥
  30. साधु संत के तुम रखवारे।
    असुर निकंदन राम दुलारे॥
  31. अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
    अस बर दीन जानकी माता॥
  32. राम रसायन तुम्हरे पासा।
    सदा रहो रघुपति के दासा॥
  33. तुम्हरे भजन राम को पावै।
    जनम जनम के दुख बिसरावै॥
  34. अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
    जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
  35. और देवता चित्त न धरई।
    हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
  36. संकट कटै मिटै सब पीरा।
    जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
  37. जै जै जै हनुमान गोसाईं।
    कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
  38. जो सत बार पाठ कर कोई।
    छूटहि बंदि महा सुख होई॥
  39. जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
    होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
  40. तुलसीदास सदा हरि चेरा।
    कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

दोहा (समापन)

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥


📿 पाठ का लाभ:

  • भय, रोग, शत्रु और मानसिक क्लेश से मुक्ति
  • आत्मबल, साहस और निर्णय क्षमता में वृद्धि
  • नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
  • हनुमान जी की कृपा और राम भक्ति की प्राप्ति

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