🌺 परिचय:

माँ कामाख्या Ma Kamakhya देवी मंदिर भारत के असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी में नीलांचल पर्वत पर स्थित एक प्राचीन और रहस्यमय शक्तिपीठ है। यह मंदिर माँ दुर्गा के दस महाविद्याओं में से एक, कामाख्या देवी को समर्पित है। कामाख्या Ma Kamakhya मंदिर को तंत्र साधना, शक्ति उपासना और रहस्यमयी शक्तियों के लिए विश्वभर में जाना जाता है।

यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में से सबसे प्रमुख माना जाता है, जहाँ देवी सती की योनि (गुप्तांग) गिरी थी। यही कारण है कि यह स्थान स्त्री-शक्ति और सृजन शक्ति का प्रतीक माना जाता है।


🕉️ कामाख्या मंदिर का इतिहास:

माँ सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान होते देखा, तो उन्होंने हवन कुण्ड में कूदकर आत्मदाह कर लिया। जब भगवान शिव ने सती के शरीर को उठाकर तांडव करना शुरू किया, तो पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया, जिससे वे शरीर के अंग धरती पर अलग-अलग स्थानों पर गिरे।

इन 51 स्थानों को शक्ति पीठ कहा गया, और माँ कामाख्या Ma Kamakhya का मंदिर वहीं बना है जहाँ माँ सती की योनि गिरी थी। इस कारण यह मंदिर स्त्री जननशक्ति का सबसे प्रमुख स्थल है।


🧭 स्थान और भूगोल:

  • 📍 स्थान: नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम
  • ⛰️ ऊँचाई: लगभग 800 फीट
  • 🌊 नदी: ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे
  • 🚉 निकटतम रेलवे स्टेशन: गुवाहाटी जंक्शन (8-10 किमी)
  • ✈️ हवाई अड्डा: लोकप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट

🛕 मंदिर की वास्तुकला:

  • मंदिर की शैली को नागर शैली और असमिया स्थापत्य कला का मिश्रण कहा जाता है।
  • मंदिर का मुख्य भाग गर्भगृह है जहाँ माँ कामाख्या Ma Kamakhya के प्रतीक स्वरूप योनि-स्वरूप शिला स्थित है।
  • गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है। वहाँ एक प्राकृतिक शिला है जिसे लाल वस्त्र से ढंका गया है, और जिसके ऊपर लगातार पानी बहता रहता है
  • मंदिर परिसर में कुल 10 महाविद्याओं के अलग-अलग मंदिर भी स्थित हैं – तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, भैरवी, धूमावती, छिन्नमस्ता, बगलामुखी, मातंगी, कमला आदि।

🌑 तंत्र साधना और रहस्य:

कामाख्या देवी मंदिर को तांत्रिकों का सबसे बड़ा शक्तिकेंद्र माना जाता है। तंत्र विद्या, सिद्धि, और गुप्त साधनाओं के लिए यहाँ देश-विदेश से साधक आते हैं।

  • यह मंदिर अघोरी साधकों और तांत्रिकों की प्रमुख साधना स्थली है।
  • तंत्र के अनुसार, यह स्थान काम, इच्छा, सृजन और शक्तिपूजन का सर्वोच्च केंद्र है।
  • माँ कामाख्या Ma Kamakhya को “कामना पूर्ण करने वाली देवी” कहा जाता है।

🔴 अम्बुबाची मेला (रजस्वला उत्सव):

कामाख्या मंदिर में वर्ष में एक बार एक अनोखा पर्व मनाया जाता है – अम्बुबाची मेला। यह जून के महीने में आता है।

  • इस समय ऐसा माना जाता है कि माँ कामाख्या तीन दिन तक रजस्वला (मासिक धर्म) होती हैं
  • इन तीन दिनों तक मंदिर का द्वार बंद रहता है और कोई भी पूजा नहीं होती।
  • चौथे दिन मंदिर खुलता है, और लाखों श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।
  • भक्तों को लाल वस्त्र में लिपटा पवित्र कपड़ा (रजस्वला वस्त्र) प्रसाद के रूप में दिया जाता है, जिसे अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी माना जाता है।

🌼 माँ कामाख्या की उपासना:

  • माँ को लाल फूल, सिंदूर, नारियल, हल्दी और कुमकुम अर्पित किया जाता है।
  • साधक यहाँ विशेष मंत्र जाप, यंत्र पूजन, और तंत्र क्रिया करते हैं।
  • कहा जाता है कि माँ कामाख्या की पूजा से संतान सुख, विवाह, कामना पूर्ति, रोग नाश, और सिद्धि प्राप्त होती है।

🧘‍♂️ प्रसिद्ध साधक और महापुरुष:

  • गोरखनाथ, वशिष्ठ मुनि, और मच्छेन्द्रनाथ जैसे तांत्रिकों ने यहाँ साधना की।
  • रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, और शंकराचार्य जैसे महापुरुषों ने भी यहाँ आकर पूजा की थी।

🚩 पर्यटन और दर्शन व्यवस्था:

  • मंदिर प्रातः 5 बजे खुलता है और रात 10 बजे तक खुला रहता है।
  • नवरात्र, दुर्गा पूजा और अंबुबाची मेले के समय यहाँ भारी भीड़ होती है।
  • सरकार और मंदिर प्रशासन द्वारा भक्तों के लिए कतार प्रणाली, पंडाल, पानी, सुरक्षा और प्रसाद व्यवस्था की जाती है।

🛣️ कैसे पहुँचें:

  • रेल द्वारा: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से ऑटो, टैक्सी द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
  • हवाई जहाज़ द्वारा: लोकप्रिया गोपीनाथ एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब के माध्यम से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
  • सड़क मार्ग: असम के सभी प्रमुख शहरों से बस या निजी वाहन से मंदिर तक जाया जा सकता है।

🕊️ निष्कर्ष:

माँ कामाख्या Ma Kamakhya देवी का धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, रहस्य, शक्ति और श्रद्धा का जीवंत संगम है। यह भारत का एक ऐसा स्थान है जहाँ देवी की स्त्री रूप में सृजनात्मक शक्ति की पूजा की जाती है। माँ कामाख्या की महिमा अपार है – यहाँ श्रद्धा से माँ को पुकारने वाला कभी खाली नहीं लौटता।

👉 यहाँ आने वाला हर भक्त यही कहता है:

“जय माँ कामाख्या!
माँ सबकी मनोकामनाएं पूरी करें!”

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