शनिदेव हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें न्याय, कर्मफल और अनुशासन के देवता माना जाता है। वे नवग्रहों (नौ ग्रहों) में एक हैं और विशेष रूप से व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल देने वाले ग्रह देवता के रूप में प्रसिद्ध हैं। शनिदेव का प्रभाव जीवन में सुख-दुख, सफलता-विफलता, स्वास्थ्य, धन और प्रतिष्ठा पर गहरा पड़ता है।

विषयविवरण
नामशनिदेव, शनैश्चर, शनि महाराज
पितासूर्य देव
माताछाया (संवर्णा)
भाईयमराज (मृत्यु के देवता)
वाहनकाला कौआ या रथ जिसमें काले घोड़े या भैंस होते हैं
वस्त्रकाले या नीले रंग के वस्त्र
स्वरूपकाला वर्ण, गंभीर, मंद गति से चलने वाले
ग्रह स्थितिनवग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह (लगभग 2.5 वर्ष एक राशि में)

शनिदेव के गुण और कार्य                                                                          

कर्म के अनुसार फल देने वाले: शनिदेव किसी का पक्षपात नहीं करते; वे व्यक्ति के भले या बुरे कर्म के अनुसार उसे फल देते हैं।

न्यायप्रिय: उन्हें धर्म का रक्षक और अधर्म का दंडदाता कहा गया है।

मौन, गम्भीर और विवेकी स्वभाव के प्रतीक हैं।

शनिदेव से जुड़ी प्रसिद्ध कथाएं

1. शनि और सूर्य कथा

शनि बचपन से ही भगवान सूर्य से अप्रसन्न रहे क्योंकि उन्होंने शनि की माता छाया (संवर्णा) को नजरअंदाज किया। इसलिए पिता-पुत्र के संबंध में हमेशा दूरी रही।

2. शनि और हनुमान जी

हनुमान जी ने शनिदेव को लंका में रावण के बंधन से मुक्त किया था। तब शनिदेव ने हनुमान जी से वचन दिया कि जो भी भक्त हनुमान जी की उपासना करेगा, उसे शनिदेव अधिक कष्ट नहीं देंगे।

शनि की साढ़े साती और ढैय्या क्या होती है?

अवधारणाविवरण
साढ़े सातीजब शनि आपकी जन्म कुंडली की चंद्र राशि से पहले, उसी और उसके बाद की राशियों में 7.5 वर्षों तक रहता है।
ढैय्याजब शनि आपकी चंद्र राशि से चौथे या आठवें स्थान पर होता है और 2.5 वर्षों तक प्रभाव डालता है।
प्रभावकठिनाइयाँ, देरी, मानसिक दबाव, परन्तु सही प्रयास पर विशेष सफलता भी मिलती है। यह “सजा” नहीं, बल्कि कर्मों का फल है।

शनिदेव की पूजा कैसे करें

विधिविवरण
दिनशनिवार (Shanivar)
व्रतशनिदेव का व्रत रखकर तेल का दान, काले वस्त्र पहनना
पूजन सामग्रीसरसों का तेल, काले तिल, काला कपड़ा, लो

मंत्र

ॐ शं शनैश्चराय नमः ॥

स्तोत्र

शनि चालीसा

शनि स्तोत्र (दशरथ कृत)

नवग्रह शांति पाठ

शनिदेव के प्रभाव से बचाव के उपाय

हनुमान जी की उपासना करें।

शनिवार को तेल दान करें — खासकर पीपल पर सरसों का तेल चढ़ाएं।

गरीबों को काले वस्त्र, तिल, उड़द, लोहे के बर्तन दान करें।

हं हनुमते नमःऔर नमः शिवायमंत्र का जप करें।

कर्मों में सुधार करें — सत्य, अहिंसा, न्याय और सेवा भाव को अपनाएं।

प्रसिद्ध शनिदेव मंदिर

मंदिरस्थान
शनि शिंगणापुरमहाराष्ट्र
कोकिलावन शनि धाममथुरा, उत्तर प्रदेश
शनि देवालयउज्जैन, मध्यप्रदेश
तिरुनल्लार शनि मंदिरपुदुचेरी (तमिलनाडु)

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