🔱 परिचय

सोमनाथ Somnath मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यह गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल नगर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। सोमनाथ का शाब्दिक अर्थ है – “सोम (चंद्रमा) का स्वामी”, यानी भगवान शिव। इस मंदिर को “शिव का अनादि निवास” भी कहा गया है, क्योंकि इसका इतिहास मानव सभ्यता की शुरुआत से जुड़ा हुआ माना जाता है।


📖 पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव (सोम) ने दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से विवाह किया, लेकिन वे केवल रोहिणी से प्रेम करते थे। इससे क्रोधित होकर दक्ष ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि उनकी चमक और तेज धीरे-धीरे क्षीण हो जाए। पीड़ित चंद्रदेव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्ति दी और फिर चंद्रदेव ने यहाँ पर एक सोमेश्वर लिंग की स्थापना की। तभी से यह स्थान सोमनाथ कहलाया।


🛕 मंदिर का इतिहास

सोमनाथ Somnath मंदिर का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और यह लगभग 6 बार ध्वस्त और फिर से पुनर्निर्मित किया गया है।

प्रमुख आक्रमण:

  1. 1025 ई. में महमूद गजनवी ने मंदिर को लूटा और ध्वस्त कर दिया।
  2. 1299 में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति ने मंदिर पर हमला किया।
  3. 1395 और 1706 में भी दिल्ली और मुग़ल शासकों द्वारा मंदिर को बार-बार नष्ट किया गया।

पुनर्निर्माण:

  • 1947 में भारत की आज़ादी के बाद, सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ Somnath मंदिर के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया।
  • यह पुनर्निर्माण 1951 में पूरा हुआ और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति) ने इसका उद्घाटन किया।

🏛️ वास्तुकला और निर्माण शैली

सोमनाथ Somnath मंदिर की वर्तमान संरचना चालुक्य शैली में बनी है जिसे “कैलाश महामेरु प्रसाद” नाम दिया गया है। इसकी वास्तुकला अत्यंत भव्य, वैज्ञानिक और कलात्मक है।

  • मंदिर की ऊँचाई लगभग 50 मीटर है।
  • इसके शिखर पर 10.6 मीटर ऊँचा ध्वज लहराता है जो 7 टन वजन का है।
  • मंदिर का मुख्य गर्भगृह, सभा मंडप और प्रदक्षिणा पथ आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।
  • मंदिर का स्थान अरब सागर के किनारे स्थित है, जहाँ से क्षितिज तक कोई भूमि नहीं है – इसे दर्शाने वाला एक “Arrow Pillar” (बाण स्तंभ) भी स्थापित है, जिस पर लिखा है:
    “आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुवपर्यंत अबाधित ज्योतिर्मार्ग”

🙏 धार्मिक महत्व

  • सोमनाथ Somnath को मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है।
  • यह मंदिर शिव भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है।
  • यहाँ रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और दर्शन पूजन के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं।

🗓️ उत्सव और आयोजन

सोमनाथ Somnath मंदिर में वर्षभर धार्मिक उत्सवों का आयोजन होता है, जैसे:

  • महाशिवरात्रि – विशाल मेले और रातभर कीर्तन
  • श्रावण मास – अभिषेक, भजन-कीर्तन
  • कार्तिक पूर्णिमा – दीपोत्सव व रथयात्रा
  • सोमवती अमावस्या – विशेष पूजन

📍 प्रमुख स्थल और मंदिर परिसर में विशेष आकर्षण

  • सोमनाथ समुद्र तट – शांत वातावरण और सुंदर सूर्यास्त दृश्य
  • घण्टा मंडप – विशाल घंटी और मंदिर की आंतरिक सजावट
  • सौराष्ट्र दर्शन – पास के अन्य तीर्थ जैसे भालका तीर्थ, त्रिवेणी संगम, गिर नार पर्वत आदि

🛣️ कैसे पहुंचे सोमनाथ?

  • रेलमार्ग: सोमनाथ के पास निकटतम रेलवे स्टेशन वेरावल जंक्शन है, जो भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
  • वायुमार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा दीव (85 किमी) और राजकोट (190 किमी) है।
  • सड़क मार्ग: अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत से नियमित बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है।

🏁 निष्कर्ष

सोमनाथ Somnath मंदिर भारतीय संस्कृति, धर्म, और आस्था का एक अद्वितीय प्रतीक है। यह मंदिर न केवल भगवान शिव की महिमा को दर्शाता है, बल्कि भारतीय जनमानस की अखंड श्रद्धा और पुनर्निर्माण की शक्ति का प्रमाण भी है। समय-समय पर विदेशी आक्रमणों के बावजूद यह मंदिर बार-बार खड़ा हुआ और आज भी वैसी ही आस्था और भव्यता के साथ लोगों को दिव्य अनुभूति प्रदान करता है। एक बार सोमनाथ के दर्शन कर लेने से जीवन धन्य हो जाता है।

 

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