परिचय:
वृंदावन Vrindavan उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। इसे भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलास्थली माना जाता है। यह धाम संपूर्ण विश्व में भक्ति, प्रेम और रासलीला के लिए प्रसिद्ध है। वृंदावन को “श्रीकृष्ण की प्रेमभूमि” कहा जाता है और यहाँ अनेक प्राचीन मंदिर, वन, कुंड और लीला स्थल स्थित हैं। वृंदावन की सबसे प्रमुख विशेषताओं में बांके बिहारी मंदिर और निधिवन का नाम विशेष रूप से लिया जाता है।
वृंदावन का धार्मिक महत्व:
वृंदावन Vrindavan का उल्लेख अनेक हिन्दू ग्रंथों जैसे भागवत पुराण, हरिवंश पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है। यहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल और युवा अवस्था में गोपियों के साथ रासलीलाएं की थीं। यही वह भूमि है जहाँ श्रीकृष्ण और राधा रानी का दिव्य प्रेम संसार के लिए भक्ति का आदर्श बन गया।
वृंदावन Vrindavan को 12 वन (द्वादश वन) के समूह में गिना जाता है, जिनमें मधुवन, तुलसीवन, काम्यवन, बहुलावन, निधिवन, सेवा कुंज आदि शामिल हैं।
बांके बिहारी मंदिर:
1. परिचय:
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन Vrindavan का सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय मंदिर है। यह मंदिर श्रीकृष्ण के बांके बिहारी स्वरूप को समर्पित है। “बांके” का अर्थ है ‘टेढ़े’ और “बिहारी” का अर्थ है ‘विहार करने वाले’ – अर्थात वह जो त्रिभंगी मुद्रा में विराजमान हों।
2. मंदिर का इतिहास:
इस मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास जी ने 1864 में की थी। कहा जाता है कि स्वामी हरिदास जी, जो स्वयं एक महान संत और संगीतज्ञ थे, ने तपस्या से भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को प्रसन्न किया और उनके विग्रह को प्रकट किया। यह मूर्ति आज भी बांके बिहारी मंदिर में प्रतिष्ठित है।
3. विशेषताएं:
- इस मंदिर में मूर्ति की आरती दिन में केवल कुछ विशेष अवसरों पर होती है, जबकि अन्य मंदिरों की तरह नियमित आरती नहीं होती।
- बांके बिहारी जी को झूले, फूलों, गुलाल और मक्खन-मिश्री से विशेष भोग अर्पित किया जाता है।
- कहा जाता है कि जो श्रद्धालु बांके बिहारी जी की आँखों में लगातार देखते हैं, वे भगवान की लीला में लीन हो जाते हैं। इसलिए मूर्ति के सामने पर्दा बार-बार डाला जाता है।
निधिवन: एक रहस्यमयी स्थल
1. निधिवन का महत्व:
निधिवन वृंदावन का एक रहस्यमय और चमत्कारी स्थल माना जाता है। यह स्थल श्रीकृष्ण और राधारानी की रासलीलाओं का प्रमुख केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि आज भी रात को श्रीकृष्ण यहाँ गोपियों के साथ रास रचाते हैं।
2. नियम और रहस्य:
- निधिवन में सूर्यास्त के बाद किसी को भी रुकने की अनुमति नहीं होती। रात होते ही मंदिर के पुजारी मंदिर को बंद कर देते हैं और निधिवन खाली कर दिया जाता है।
- ऐसा विश्वास है कि जो व्यक्ति रात में निधिवन में ठहरता है, वह या तो पागल हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है।
- मंदिर में एक छोटी सी रंगमहल नामक कुटिया है जहाँ रात्रि में राधा-कृष्ण विश्राम करते हैं। वहाँ एक पलंग, दंतमंजन (दातुन), वस्त्र और फूल आदि रखे जाते हैं। सुबह इन पर ऐसे चिह्न मिलते हैं जैसे कोई वहां रात्रि में उपस्थित रहा हो।
3. वृक्षों की विशेषता:
निधिवन में उपस्थित तुलसी के पेड़ असामान्य रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और उनकी आकृतियाँ झुकी हुई प्रतीत होती हैं। स्थानीय मान्यता है कि ये वृक्ष गोपियों का रूप हैं, जो रात में श्रीकृष्ण के साथ रास में सम्मिलित होती हैं।
अन्य प्रमुख स्थल वृंदावन में:
- राधा रमण मंदिर
- प्रेम मंदिर (रात्रि में सुंदर लाइट शो के लिए प्रसिद्ध)
- इस्कॉन मंदिर – भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित
- सेवा कुंज – जहाँ श्रीकृष्ण राधारानी के चरणों की सेवा करते थे
- गोविंद देव मंदिर – मुगल काल की अद्भुत वास्तुकला
- रंगजी मंदिर, गोपेश्वर महादेव, और कुसुम सरोवर भी दर्शनीय स्थल हैं।
वृंदावन की संस्कृति और भक्ति:
वृंदावन Vrindavan की संकीर्तन परंपरा, भजन-कीर्तन, रासलीलाएं, और मंदिरों की घंटियों की आवाज़ भक्तों के हृदय को भक्ति से भर देती हैं। यहाँ जीवन का हर क्षण श्रीकृष्ण और राधारानी के प्रेम में समर्पित होता है।
कैसे पहुँचे:
- रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन से वृंदावन मात्र 10-12 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग: दिल्ली, आगरा और जयपुर से बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा आगरा (70 किमी) और दिल्ली (150 किमी) है।
निष्कर्ष:
वृंदावन Vrindavan धाम एक ऐसा स्थान है जहाँ सांसारिक मोह और चिंता मिटकर केवल श्रीकृष्ण प्रेम रह जाता है। बांके बिहारी जी का दिव्य स्वरूप, निधिवन की रहस्यमयी लीलाएं, और राधा-कृष्ण का अलौकिक प्रेम – यह सब वृंदावन को न केवल एक तीर्थ स्थल बनाते हैं, बल्कि आत्मा की शांति का केंद्र भी बनाते हैं। यहाँ आकर हर भक्त कह उठता है –
“राधे राधे!”